ऐ ख़ुदा, ये कैसी बात हुई
फिर वही, बरसात हुई
क्या लुत्फ़ कोसों आने का
न क़ैद से जो, आज़ाद हुई
वही काले घने, भरे बादल
वही सुना गहरा, आसमाँ
तीख़ी हवा का शोर, सर सर
वही उसकी, यादों का समां
जैसे वहाँ, बरसता था
यहाँ भी टूट के, आया है
बूँदो का सैलाब, देखो
प्यार का मौसम, लाया है
मन करता है, नंगे पाव
निकल पडू इन, सड़कों पर
बाँहों को फैला के, अपनी
बारिश को लूँ, खुद में भर
क़तरा क़तरा, मुझको छूकर
उतरेगा जब, पानी तन से
निखरेगा हर रोम, जैसे
छू लिया हो, उसने मन से
होठों पर जब, गिरेंगी बूंदे
आँखों में शराब, आ जाएगी
एक बार जो उसका, नाम लिया
मदहोशी, छा जाएगी
ना होकर भी, वो होगा यही
मेरे कण कण में, मेरी बाँहों में
दूर होकर भी, मुझसे दूर नहीं
मेहकेगा वो, मेरी साँसों में
जाने क्यों बरसती है, बरसात
केहर मेरे दिल, पर ढाती है
हर बून्द में भरके, याद उसकी
वो प्यार उसका, ले आती है