इतनी जिराःह हुई
करने को बातें न रही
फिर भी ज़िद है दिल की
उनसे और बात करें
थक गयी है आंखें
सर में मृदंग हो रहा
फिर भी ज़िद है दिल की
उनको और याद करें
जब खुद का ही कसूर हो
ज़बा को अलफ़ाज़ नहीं मिलते
फिर भी ज़िद है दिल की
उनसे ही फ़रियाद करें
तबाही भी खूब मची
जो रहा कुछ जीने में
फिर भी जिद है दिल की
उन संग ही बर्बाद करें
अब वक़्त रहा न ऐसा
मिलने से कोई हल निकले
फिर भी ज़िद है दिलकी
उनसे और मुलाकात करें
रहा न दिल में उनके
कतरा भी प्यार का बाकी
फिर भी ज़िद है दिल की
प्यार उन्ही के साथ करें
कैसा इश्क, ये कैसी उल्फत
जीने न दे, मरने न दे
कर कुछ ज़िद्दी दिल अब ऐसा
उनसे खुदको आज़ाद करें
करने को बातें न रही
फिर भी ज़िद है दिल की
उनसे और बात करें
थक गयी है आंखें
सर में मृदंग हो रहा
फिर भी ज़िद है दिल की
उनको और याद करें
जब खुद का ही कसूर हो
ज़बा को अलफ़ाज़ नहीं मिलते
फिर भी ज़िद है दिल की
उनसे ही फ़रियाद करें
तबाही भी खूब मची
जो रहा कुछ जीने में
फिर भी जिद है दिल की
उन संग ही बर्बाद करें
अब वक़्त रहा न ऐसा
मिलने से कोई हल निकले
फिर भी ज़िद है दिलकी
उनसे और मुलाकात करें
रहा न दिल में उनके
कतरा भी प्यार का बाकी
फिर भी ज़िद है दिल की
प्यार उन्ही के साथ करें
कैसा इश्क, ये कैसी उल्फत
जीने न दे, मरने न दे
कर कुछ ज़िद्दी दिल अब ऐसा
उनसे खुदको आज़ाद करें
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