यूँ भी होगा, ये सोचा न था
सोचा हुआ, होता है क्या ?
वस्ल की तमन्ना, थी मगर
वस्ल का इनाम, सोचा न था
तअल्लुक़ को वज़ह की, हूँफ नहीं
क़ुर्बत को किसी का, ख़ौफ़ कहा
यूँ डूबती नब्ज़ ही, दे देगी
हौसलों का सिला, सोचा न था
ख़्वाहिशों के भी,पर होते है
आसमाँ से इश्क़, लड़ाते हैं
हसरतों को, यूँ भी मूझसे
कोई देगा मिला, सोचा न था
सोचा हुआ, होता है क्या ?
वस्ल की तमन्ना, थी मगर
वस्ल का इनाम, सोचा न था
तअल्लुक़ को वज़ह की, हूँफ नहीं
क़ुर्बत को किसी का, ख़ौफ़ कहा
यूँ डूबती नब्ज़ ही, दे देगी
हौसलों का सिला, सोचा न था
ख़्वाहिशों के भी,पर होते है
आसमाँ से इश्क़, लड़ाते हैं
हसरतों को, यूँ भी मूझसे
कोई देगा मिला, सोचा न था
No comments:
Post a Comment