Friday, August 22, 2014

तुम ज़िद अपनी जताते रहो 
मैं ख़्वाब अपने सजाऊँगी 
तुम कदम कदम दूर जाते रहो 
मैं क्षण क्षण पास आऊँगी 

तुम ज़ुबाँ से अपनी कुछ न कहो 
मैं आँखें पढ़ती जाऊँगी 
तुम पीठ दिखाते जाओ जाना 
मैं दिल मैं आती जाऊँगी

मेरा चेहरा भी न देखो तुम 
क़सम तुम्हारी निभाऊंगी 
बेशक क़त्ल कर देना मेरा 
जो नज़र तुम्हे आ जाऊँगी 

ज़िद्द तुम्हारी अब मान है मेरा 
मर जाऊँगी, तुम्हे ना बुलाऊंगी 
तुम नफरत करते जाओ जाना 
मैं प्यार करती जाऊँगी 

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