तुम ज़िद अपनी जताते रहो
मैं ख़्वाब अपने सजाऊँगी
तुम कदम कदम दूर जाते रहो
मैं क्षण क्षण पास आऊँगी
तुम ज़ुबाँ से अपनी कुछ न कहो
मैं आँखें पढ़ती जाऊँगी
तुम पीठ दिखाते जाओ जाना
मैं दिल मैं आती जाऊँगी
मेरा चेहरा भी न देखो तुम
क़सम तुम्हारी निभाऊंगी
बेशक क़त्ल कर देना मेरा
जो नज़र तुम्हे आ जाऊँगी
ज़िद्द तुम्हारी अब मान है मेरा
मर जाऊँगी, तुम्हे ना बुलाऊंगी
तुम नफरत करते जाओ जाना
मैं प्यार करती जाऊँगी
No comments:
Post a Comment