बहरहाल अब देखना बाकि ये रहा...
प्रतिज्ञा का कितना शौर्ये है
और मौन में कितना सामर्थ्य,
क्या वेदनाओं का प्रहार प्रबल है
या धैर्य का अड़िग है प्रण ?
देखें समय के ताप में
झुलसता है कौनसा पक्ष यहाँ ,
उल्लसित होना किसका भाग्य है
और पराजित होना किसे मान्य !
प्रतिज्ञा का कितना शौर्ये है
और मौन में कितना सामर्थ्य,
क्या वेदनाओं का प्रहार प्रबल है
या धैर्य का अड़िग है प्रण ?
देखें समय के ताप में
झुलसता है कौनसा पक्ष यहाँ ,
उल्लसित होना किसका भाग्य है
और पराजित होना किसे मान्य !
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