Friday, November 14, 2014

सोचूँ तो वजहों की फ़ेरिश्त बन जाएगी 
न सोचूँ तो तुमसे कोई खला ही नहीं 
मिलने को तो मिले हमें हर मोड़ पे आशिक़ 
मुख्तलीफ़ , तुमसा मगर कोई मिला ही नहीं 

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