Thursday, June 26, 2014

बख़्शे जो तूने
हम सर आँखोँ पर ले आए
बाकि लम्हें उल्फ़त के .... तेरी सल्तनत पे क़ुर्बान

मिलते है औरों से
अब मुस्कुराकर  हम
नशा तेरे नाम का.… वाह वाही लेता है ज़ाम 

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