गुब्बारों सा फोड़ दिया
ख्वाबो का रुख मोड़ दिया
सिने से लगा का कहा था
हाथ कभी ना छोड़ेंगे
जाने ऐसा क्या हुआ
पल में साथ छोड़ दिया
सनम से ज़िरह की फेरिस्त नहीं बनती
इश्क लौटने की कोई किश्त नहीं बनती
तुम ये सोचो, गलती काबिल-ए- माफ़ नहीं
हम ये सोचे, ऐसी सज़ा हरगीज़ नहीं बनती
ख्वाब और हकीकत में जो दरमियान रहे
तुमसे इश्क में जाने कितने इम्तेहान रहे
अब तक तो रहे इस दिल के आस पास ही कहीं
गए जो हमसे दूर, अब जाने कहाँ रहे
ख्वाबो का रुख मोड़ दिया
सिने से लगा का कहा था
हाथ कभी ना छोड़ेंगे
जाने ऐसा क्या हुआ
पल में साथ छोड़ दिया
सनम से ज़िरह की फेरिस्त नहीं बनती
इश्क लौटने की कोई किश्त नहीं बनती
तुम ये सोचो, गलती काबिल-ए- माफ़ नहीं
हम ये सोचे, ऐसी सज़ा हरगीज़ नहीं बनती
ख्वाब और हकीकत में जो दरमियान रहे
तुमसे इश्क में जाने कितने इम्तेहान रहे
अब तक तो रहे इस दिल के आस पास ही कहीं
गए जो हमसे दूर, अब जाने कहाँ रहे