Thursday, September 18, 2014

मेरी आहों में आहें, मिला रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 
जाना पहचाना, एहसास लौटा है 
दूर से ही मुझे गले, लगा रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

अल्फ़ाज़ों का साथ, पीछे रह गया 
आख़री शब्द 'अलविदा', कह गया 
तनहा है जागे,अरसों सोये नहीं 
मीठी थपकियों से, सुला रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

भूली नहीं नटखट, हँसी  उसकी
मुझे छेड़ फिर, खिलखिला के हँसना 
खोज रही थी लम्हे, दोहराने के लिए 
ख़यालों में फिरसे, सता रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

मेहफ़ूज़ उसकी बाहों का, संग खो गया 
तन्हाइयों की भीड़ में, दिल तंग हो गया 
मन करता है उसके, सीने से लग जायें 
कसके अपनी बाँहों में, मना रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

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