तुम साथ नहीं ये हार नहीं
कहीं जीत मेरी ही है 'जाना'
ना होकर भी हो साथ मेरे
ये जीत मेरी है है 'जाना'
ढलते दिन के साये में जब
महफ़िल सजाये बैठे हो
तुम जाम बनाये बैठे हो
किसी घूंठ में मेरा स्वाद आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कुछ गीत तुम्हारे दिल अज़ीज़
कोई ग़ज़ल जो मैंने गायी हो
कभी उनकी धून में खो जाओ
और कही मेरी आवाज़ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
मस्ती से हो मन भरा
और दिल को सूझे अठखेली
किसीको सताके हो रुलाना
और चेहरा मेरा नज़र आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कोई बात से दिल परेशान हो
भीड़ में भी तन्हाई लगे
सीने से लगाके रोना हो
और याद जो मेरी बाह आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
किसी हार में, ग़म में
किसी जीत में,जश्न में
कहना हो कुछ दिल का हाल
और याद जो मेरा नाम आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कभी होंठ तुम्हारे शोर करें
भीग जाने का वो ज़ोर करें
मदहोशी में खो जाना हो
और ख्यालों में मेरे होंठ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
तम्मनाएँ कभी जो बेहक जाएं
आग़ोश में बदन महक चाहे
ख्वाइश हो ज़िद्दी, लहू गरम
और याद जो मेरा साथ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
ना होकर भी हो साथ मेरे
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कहीं जीत मेरी ही है 'जाना'
ना होकर भी हो साथ मेरे
ये जीत मेरी है है 'जाना'
ढलते दिन के साये में जब
महफ़िल सजाये बैठे हो
तुम जाम बनाये बैठे हो
किसी घूंठ में मेरा स्वाद आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कुछ गीत तुम्हारे दिल अज़ीज़
कोई ग़ज़ल जो मैंने गायी हो
कभी उनकी धून में खो जाओ
और कही मेरी आवाज़ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
मस्ती से हो मन भरा
और दिल को सूझे अठखेली
किसीको सताके हो रुलाना
और चेहरा मेरा नज़र आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कोई बात से दिल परेशान हो
भीड़ में भी तन्हाई लगे
सीने से लगाके रोना हो
और याद जो मेरी बाह आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
किसी हार में, ग़म में
किसी जीत में,जश्न में
कहना हो कुछ दिल का हाल
और याद जो मेरा नाम आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
कभी होंठ तुम्हारे शोर करें
भीग जाने का वो ज़ोर करें
मदहोशी में खो जाना हो
और ख्यालों में मेरे होंठ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
तम्मनाएँ कभी जो बेहक जाएं
आग़ोश में बदन महक चाहे
ख्वाइश हो ज़िद्दी, लहू गरम
और याद जो मेरा साथ आये
वो जीत मेरी ही है 'जाना'
तुम साथ नहीं, ये हार नहीं
ये जीत मेरी है है 'जाना'
ना होकर भी हो साथ मेरे
ये जीत मेरी है है 'जाना'