Saturday, November 27, 2010

सुकूँ भी इश्क
दर्द भी इश्क
रोग भी इश्क 
मर्ज़ भी इश्क
तेरी हसी, तेरी बातें, तेरा गुस्सा, सज़ा भी इश्क
तुझसे दूरी, नजदीकियां, तेरी मस्ती- मज़ा भी इश्क
ख्वाब भी इश्क
ख़याल भी इश्क
वल्लाह तेरे
सवाल भी इश्क
तू पिए, होटों से वो, जिसके लिए, है नशा भी इश्क
कातिल तेरी, कडवी ज़बां, ज़ालिम तेरी है अदा भी इश्क
सितम भी इश्क
दुआ भी इश्क
तू जो दे   
बद-दुआ भी इश्क
रह रह के जो याद आता है, गुज़रा हुआ लम्हा भी इश्क
संग तेरे कुछ पल जिए, अब है मगर तनहा भी इश्क
मेरी जाँ तेरी, हर बात है, सबसे अलग, है तू भी इश्क
प्यार तुझसे क्या किया, कहते है सब, हूँ  मैं भी इश्क

Wednesday, November 24, 2010

औरो ने कहा, मैंने माना ही नहीं
     अपनी आँखों से देखा, तो यकीं हों गया
वो जिसे चाहा था, दिलो जाँ से मैंने
     ख़ुशी से वो आज किसी और का हों गया
  
शाम हुई, अब चलते हैं
             क्या ख़ाली हाथ भेजोगे?
कुछ किस्से, कुछ हिस्से,
             तुम अपने भी देदो.

अपना तो एक ख्वाब भी,
             हम पूरा ना कर पाए..
तुम्हारे नाम से पुरे हों शायद,
             कुछ सपने भी देदो.

इक  ख़याल, इक एहसास
      कुछ ऐस आया .....की तेरे दिल में किसी और की जगह बन गई
कहीं ऐसा तो नहीं?
.......की यही बात.... हमारे बीच दूरियों की वजह बन गयी

Saturday, November 20, 2010

पा लिया एक ख्वाब तो, उम्मीद बढ़ गयी
    जाने ये उम्मीद हमें अब, ले कहाँ जाए
ना- इंसाफी है ये कैसी, कैसा ये सितम
    गुनाह किसी और का, सज़ा कोई पाए
ना आँखों से, ना बातों से, ना लिख कर केह सके
    तो कैसे इस दिल का हम, हाल सुनाये
कसमो पर कभी यकीं, हमें आया ही नहीं
    क्यों फिर कसम खाके, तुझे यकीं दिलाएं
धुल ज़रा ज़रा कभी, हटाते रहना
     यादों के किसी ढेर में , कहीं हम ना खो जाए  

Tuesday, November 16, 2010

कल ख्वाब में मैंने खुद को, मरते हुए देखा
मौत से अपनी ऐसे लड़ते हुए देखा.

फूलो से सजी महफ़िल, मौसम बहार का ,
इक पेड़ से हरएक पत्ता,खरते हुए देखा,
कल ख्वाब में मैंने खुदको, मरते हुए देखा.

तपते निर्जल रन में, एक बूँद नहीं देखि ,
आँखों से आंसुओ को, झरते हुए देखा,
कल ख्वाब में मैंने खुदको, मरते हुए देखा.

शायद ही डूबती वो, सुराग वाली नय्या,
अपनों को उसमे मिटटी, भरते हुए देखा
कल ख्वाब में मैंने खुदको मरते हुए देखा


अंधेर काली रातें, दियो से कट ही जातीं 
तुझको लौ पर हाथ, धरते हुए देखा
कल ख्वाब में  मैंने खुदको मरते हुए देखा


बस ये ना  होता तो में, जी लेती शायद
किसी और से प्यार तुझको, करते हुए देखा'
कल ख्वाब में मैंने खुदको, मरते हुए देखा

Tuesday, November 9, 2010

माना बे- अक्ल हु में
तेरी सुध -बुध कहाँ गई
मेरा कहा सब सुन लिया
क्यों खुद कुछ कहा नहीं


क्या ऐसे मोहब्बत होती है
किसी की मन मर्जी चले
एक मचादे हुल्लड़ दंगा
दूजा बस सुनता ही रहे


बस मेरी बात चलेगी क्या ?
क्या युही तेरा बसर होगा ?
अरे बुद्धू  क्या चीज़ है तू ?
कैसे तेरा गुज़र होगा ?


ऐसे ही तुने किया अगर
कही दूर चली जाउंगी में
ढूंढते रेहना सारी दुनिया
लौटकर ना आउंगी में


क्यों मुझसे ही प्यार किया
मुझसे बेहतर भी लोग थे?
भुगतना सारी उम्र मुझे अब,
शायद यही संजोग थे !
ऐ शाम ना हों उदास यु
तुझे देख के दिल भर आता है
तनहा इन तन्हाईओं में
रोने को जी चाहता है 

जी चाहता है इतना रोये, इतना की चाहत थम जाए
फिर ना कोई ख्वाब  आये, नींद में ऑंखें रम जाये
बह जाए शिकवो की माटी, अरमानो का पता ना हों
इतनी सख्ती हों दिल पर, फिरसे कोई ख़ता ना हों 

साँसे आसान हों जाएगी
अब मनसे जो ये बोझ ढले
ए शाम ज़रा हसतें रहना
रुसवा हम बेशक हों भले 

Wednesday, November 3, 2010

भूल जाने की कोशिश, ना करना फज़ूल
बे-हया है हम
याद आते रहेंगे .
जब कभी सोचोगे, भूल जाने की बात
खयालो में आके
सताते रहेंगे.
ना करना यकीं, अपनी अकल पे कभी
पागल को पागल
हम बनाते रहेंगे.
ऐसे या वैसे, तुम जाओ जहाँ जैसे
हक तुमपे अपना 
बताते  रहेंगे.
चाहे जितनी दूरियां, करलो कोई फासले
साँसों से  तुम्हारी,
पास आते रहेंगे .
उम्र की लकीरों में,हर कठिन मोड़ पर
तुमपे अपना प्यार 
हम जताते रहेंगे......
     याद तुम्हे हर पल, हम आते रहेंगे
     जाने मन, ऐसे ही सताते रहेंगे
     जाओगे कहाँ, हमसे दूर दिलो-जाँ
     हर कदम, हर पल ,पास आते रहेंगे...

Tuesday, November 2, 2010

टूटे एक ख्वाब के बिखरें है तिनके
पलकों के रेशों में उलझे हुए
या तो चुभेंगे ये आँखों में जाकर
बह जायेंगे या फिर आंसू बहाकर
शज़र के साए में बैठे हुए
कैसे हम मुमकीन सफ़र करते

तुझसे निगाहें जो हटती कभी
रास्तो पर थोड़ी नज़र करतें

लहू से जो हमने लिखा होता 
शायद तुम उसकी कदर करते

अश्कों से पलकें भिगोते नहीं
तुमसे कोई वादा अगर करते

पास आना जो होता आसाँ अगर
क्यों दूर रहकर गुज़र करते

ख्वाब जो जन्नत के देखे यहाँ
पूरे संग तेरे, उधर करते