Sunday, July 6, 2014

सेहज के , 
संजो के रखे थे मैंने 
कुछ तीखे बोल तेरे 

तब वो कड़वे लगते थे 

आज
जब भी उनको 
मन की पिटारी में देखती हु 

बेहद मीठे लगते हैं 

उन्हें मंद ध्वनि में 
दोहराती हू, सुनती हू 
मेहसूस करती हू 

और फिर धीरे से मुस्कुराती हू 

वाक़ई 
प्यार में कुछ तीखा नहीं होता 
कोई बात कड़वी नहीं होती 

सब कुछ सुखदाई ही होता है 


बस,
ये समझने में कभी कभी 
कुछ वक़्त लग जाता है 

प्यार में तो केवल प्यार ही होता है 

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