ख़ोने से कौन खुश होता है
रोने से किसकी यारी
ग़म जो सुकूँ दे जाये
हमने वो ग़म देखा है
इतने गिले थे उनसे
शायद ही कम होते
देखा मुस्कुराते उन्हें
शिकवों को कम देखा है
रिश्तों कि उलझी गुथ्थी
लगा न सुलझ सकेगी
कोशिशों के बढ़ते सफ़र में
उनको भी रम देखा है
इतने भी नहीं वो पत्थर
जितना था हमने सोचा
नाज़ूक भीगे लम्हो में
उनको भी नम देखा है
हम ही नहीं रुके थे
जब राहें मुकर रही थी
बिछड़ते हुए तब हमसे
उनको भी थम देखा है
रोने से किसकी यारी
ग़म जो सुकूँ दे जाये
हमने वो ग़म देखा है
इतने गिले थे उनसे
शायद ही कम होते
देखा मुस्कुराते उन्हें
शिकवों को कम देखा है
रिश्तों कि उलझी गुथ्थी
लगा न सुलझ सकेगी
कोशिशों के बढ़ते सफ़र में
उनको भी रम देखा है
इतने भी नहीं वो पत्थर
जितना था हमने सोचा
नाज़ूक भीगे लम्हो में
उनको भी नम देखा है
हम ही नहीं रुके थे
जब राहें मुकर रही थी
बिछड़ते हुए तब हमसे
उनको भी थम देखा है