हद्द हो गयी यार
क्या इसे कहतें हैं प्यार
दीवानगी ,सरासर बेवकूफी है
जाग मेरे अंतर, ये खुद्खुषी है
कभी कभी यु लगता है
हद्द है बेशर्मी की
अपनी नज़रों में खुदको बहोत छोटा पातें हैं
क्यों, आखिर क्यों, हम उसके पीछे जातें हैं
उलझन और उलझाती है
उसकी आहट जो आती है
छोड़ सारी लाज-शर्म,फिर नहीं रुक पाते हैं
बेशर्म ये हैं कदम, क्यों पीछे चले जाते हैं
बातें खुद को दोहरातीं हैं
मन चिड़िया लौट आती है
टूटे तिनके साथ लिए
फिर भी झूटी आस लिए
कल सुबह कुछ लाएगी
उम्मीद न तोड़ी जाएगी
शायद उसको हँसता देखे
वो भी ख़ुशी से रस्ता देखे
पागल है,'मन' पागल ही रहेगा
प्रेम पीड़ा को, हँस के सहेगा
न कहे बेशरम तो, क्या कहें इसे
छोटी सी बात, न समझ आये जिसे
कुछ बातें बिगड़ती हैं, खुदके ही हाथ
कुछ चीज़ें चलती हैं, तकदीर के साथ
बाकी तो खेल है 'मोह' ने बिछाये
तुझसे बढ़के भी हैं 'इश्क' के सताए
अब आँखों से पट्टी उतारो ज़रा
देखो, सितारों से नभ है भरा
हम ये नहीं कहते, ऐ व्याकुल 'मन' मेरे
की याद न करो, तुम प्यार न करो
खूब याद करो, जी भर के प्यार करो
हाँ मगर, किसीका इंतज़ार न करो
खुदको इस तरह बेशरम न कहाओ
अब और उसके पीछे, पीछे न जाओ
इश्क को इश्क ही रहने दो
जीते जी सज़ा न बनाओ
न करो ऐसे काम की खुदसे नज़र न मिला पाओ
इश्क को इश्क ही रहने दो-'ए मन'
दर्दे दिल की वजह न बनाओ
क्या इसे कहतें हैं प्यार
दीवानगी ,सरासर बेवकूफी है
जाग मेरे अंतर, ये खुद्खुषी है
कभी कभी यु लगता है
हद्द है बेशर्मी की
अपनी नज़रों में खुदको बहोत छोटा पातें हैं
क्यों, आखिर क्यों, हम उसके पीछे जातें हैं
उलझन और उलझाती है
उसकी आहट जो आती है
छोड़ सारी लाज-शर्म,फिर नहीं रुक पाते हैं
बेशर्म ये हैं कदम, क्यों पीछे चले जाते हैं
बातें खुद को दोहरातीं हैं
मन चिड़िया लौट आती है
टूटे तिनके साथ लिए
फिर भी झूटी आस लिए
कल सुबह कुछ लाएगी
उम्मीद न तोड़ी जाएगी
शायद उसको हँसता देखे
वो भी ख़ुशी से रस्ता देखे
पागल है,'मन' पागल ही रहेगा
प्रेम पीड़ा को, हँस के सहेगा
न कहे बेशरम तो, क्या कहें इसे
छोटी सी बात, न समझ आये जिसे
कुछ बातें बिगड़ती हैं, खुदके ही हाथ
कुछ चीज़ें चलती हैं, तकदीर के साथ
बाकी तो खेल है 'मोह' ने बिछाये
तुझसे बढ़के भी हैं 'इश्क' के सताए
अब आँखों से पट्टी उतारो ज़रा
देखो, सितारों से नभ है भरा
हम ये नहीं कहते, ऐ व्याकुल 'मन' मेरे
की याद न करो, तुम प्यार न करो
खूब याद करो, जी भर के प्यार करो
हाँ मगर, किसीका इंतज़ार न करो
खुदको इस तरह बेशरम न कहाओ
अब और उसके पीछे, पीछे न जाओ
इश्क को इश्क ही रहने दो
जीते जी सज़ा न बनाओ
न करो ऐसे काम की खुदसे नज़र न मिला पाओ
इश्क को इश्क ही रहने दो-'ए मन'
दर्दे दिल की वजह न बनाओ
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