Saturday, December 7, 2013

ये ग़ुनाह, कातिब-ए -मुक्क़दर का नहीं 
के नाम हमारा, आपके नाम से न जुड़ सका 
ये केहर तो अँजाम है, उस बेवफ़ाई का 
जो हमसे हमारे हौंसले, हरदम करते रहे 

कातिब-ए -मुक्क़दर- one who wrote the destiny, God

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