Tuesday, January 29, 2013

आ की मिलकर खोजें ज़रा 
जो खो दिया दोराहो पर 
तेरे एहम की ठोकर पर 
मेरी जिद की चाहों पर 

कदमो तले  की मिटटी को आ 
हाथों से कुछ नर्म बनाये 
पेड़ो से तहज़ीब खरीदें 
खुदको थोड़ी शर्म सिखाएं 

बिखरे पड़े सुखें पत्तो को 
कुछ अरमानो की उर्मि देदें
कांटो में छुपे,फूल भी है आ 
सूझ बुझ से दोनों लेलें 

तपता सूरज सर पे चढ़कर 
सँयम के सलीके टटोलेगा 
चल संग थामे, धैर्य की डोरी 
किन अंगारों से हमें तोलेगा 

जब गुजरेंगे नदी के किनारे 
ठहरे आंसू , उन्ही में बहा लेंगे हम 
छुपा लेना मुझे, तू  सीने से लगा 
ग़म को, एक दूजे में छुपा लेंगे हम 

कुछ पाव के छाले रोयेंगे 
कंधो का बल भी टूटेगा 
सफ़र की साँसे रहेंगी तब तक 
तेरा साथ न जब तक छुटेगा 

चलते चलते शाम ढलेगी 
न जाने ले जायें रास्तें कहाँ 
मुड़ के जो चाहो, तो "जाना " चले जाना 
छोड़े है तेरी ख़ातिर हर मोड़ पे निशाँ 

Thursday, January 24, 2013

धुप मैं तपती सड़क, और तू खड़ा 
मेरी आँखों मे पानी, वो सिसक याद है 

आखरी लम्हे, तेरा चेहरा उदास 
मौन में ढल रही, वो तड़प याद है

उससे पहले मगर, जो हम संग रहे 
तीखे-मीठे किस्सों की कसक याद है 

वोह रास्ता जिस पर, हम पैदल चले 
उस शाम का साथी, वो फलक याद है 

वो पेड़, वो मंदिर, वो तालाब की पाल 
उस लम्बे सफ़र की, हर झलक याद है 

वो बातें,लडाई , वो नाराज़गी मेरी 
मुझे मनाने की तेरी, वो कसक याद है 

हसकर,कसकर , मुझे गले से लगाना 
प्यार मैं वो ज़िद ,तेरी अकड़ याद है 

तेरे छुने से, जो रोम रोम पिघल जाता था 
बिन अवाज़ के, उस तूफ़ान की खनक याद है 

मिलो के फासलों पर, खयालो के खेल में 
मन में तुझे,  देख पाने का असर याद है 

खुद से ,तुझसे ,चाहे सब से मैं कह्दु,
भूल गयी मैं तुझको, "तू" मगर याद है।
ख्वाब में,खुद में,सच में,कहानी में 
हर ज़र्रे में तू,"तू" इस कदर याद है।





 

Monday, January 21, 2013

मौजे-ए -दरिया, सब  तेरे रहे 
कतराए जुनूँ सा ,हम ले चले 

टहेरे से रास्ते,क्यों  हुए तवील 
चले तो मंज़िल,ज्यों कदमो तले 

आई न समझ, कई बातें तेरी 
बर आये तुझसे, तो दुश्मन भले 

हमे दे दर्द का, वो दामन ज़रा 
काश के मोहब्बत, तुझे तो फले 

हथेली पर चाँद तो, हम ला न सके 
आँखों में, तेरे नाम के है दीपक जले
 
और करीब तेरे, हम होने लगे 
प्यार तोड़ नफरत, जो की मनचले 

खोज में तेरी, 'जाना'  मिला कुछ बहोत 
तू न मिला, तो हम खुद खो चले 

नैनो में ठंडा, कुछ पानी ले भर
रोलेना, जब मेरी साँसे ढले
 

Sunday, January 20, 2013

कमर का करहाना 
कंधो का झुक जाना 
आँखों के काले घेरे 
और ख्याल मेरे।
कहना है ये सबका 
समय को थोडा खदका 
कदमो का रुख मोड़े  
कुछ मन का सुख खोजे। 
कही छाँव में अब लेटें 
कुछ खुला सा नभ देखें 
छोडके काली  सिहायी 
सवालों को दे रिहाई। 
लम्बी गहरी साँस भरूँ 
कुछ ऐसा अब मैं करूँ 
कही दे न तू दिखाई 
तेरी यादों की बिदाई। 
ना तुझपे और सितम 
बोझ करूँ कुछ कम 
न देखू मूड के और 
वो मुश्किलों का दौर। 
बातों के समंदर को 
आँखों में करलूं बंद 
नम्कीं तेरी ज़बाँ से 
मीठे भी बरसे थे चंद। 
अब और नहीं उठ्ते 
इन कंधो से तेरे ईनाम 
रौशनी के वादे बिखरे  
प्यार की हो गयी शाम। 
समेटें अपना वजूद 
समाके खुद में  खुद 
तेरे अक्श को कर जुदा 
आ तुझको करूँ विदा।
हाथों में थाम के चेहरा 
तेरे माथे को चूमकर 
कभी ना खोलू फिर मैं 
इन आँखों को मूंद कर। 

 

Saturday, January 19, 2013

तेरे आंगन से मेरा दामन तुझे, भरा ही दीखता होगा 
मेरे आंगन से मेरा दामन, आ ,इक बार ज़रा तू देख।
तेरे मिट्टी  पे ही  बरसे है,फिजा के सावन हरे भरे 
मुझे पतझड़ से है मिला,आ ,कितना हरा तू देख।

मौन के तरकश से निकले , बिन शब्द तीखे तीर थे 
हालाँकि ज़बां तेरी, कभी क़त्ल से कतराई नहीं। 
तनक के तोड़ी कच्ची डोरी,नाम जिसका विश्वास था 
रुआब देखते बनता है, नज़रे तेरी क्यों लज्जाई नहीं। 

हाथ मेरे हाथों में  रख, आँखों से आंखें मिला 
बहने दे कडवे लहू को,मैं भी देखू रंग तेरा। 
मुझे छु कर भी तू अगर, सच को छुपा सकता है 
क्या समझू मैं, बेमानी था, पाया जो मैंने संग तेरा। 

फ़कीर तो मानो  मैं हुई, पाकर भी सब खो दिया 
साथ मेरे तू रहा है ऐसे ,खुली आँख का सपना कोई।
पल से छोटे पल मैं टुटा,दिल का हर एक हिस्सा यु 
देह त्याग के जाये जैसे, जान  से प्यारा अपना कोई। 

 

Friday, January 4, 2013

मिलके तेरे ख्याल से, मेरे ख्याल लौटें  हैं 
साथ उनके मुश्किल , कुछ सवाल लौटें  हैं 
 
मेरी हथेलीयां , अपने  हाथों मैं लिए 
आँखों से चूमकर, जो सपने दिए 
 
लापता उन ख्वाबो का, निशाँ ढूंढ़ते 
नमी को, पलकों की चिलमन से मूंदते 
 
आवाज़ दे रहे हैं, धीमी पुकार से 
मायूसियो का झोका, हक़ से नकार के
 
पथरीले फासलों को ,हाथों से साफ़ कर 
तेरे दिल का हाले जहां, साँसों से माप कर 
 
कदमो को फूँक फूँक, रखा' ज़मीन पर 
बिन तेरी इज़ाज़त , तुझे तुझसे छिनकर 
 
कुछ पल के लिए लायें है , महफ़िल मे वो मेरी 
इक अरसे से इस दिल को,  आरज़ू है बस तेरी 
 
लेने जवाब मुझसे, कुछ सवाल लौटें हैं 
भरके तुझे बाँहों मैं, निहाल लौटें हैं 
मिलके तेरे ख्याल से मेरे ख्याल लौटें हैं 
साथ उनके मुश्किल , कुछ सवाल लौटें हैं
 
 
 
 

Tuesday, January 1, 2013

मौसम ,
जिद ,
और मेय के खंजर ....
रात,
नशा,
और चाँद के तेवर ..
 
खुसबू,
धुआ,
आँखों के जाम ...
साए,
ख़ामोशी,
और तेरा नाम .... 
 
याद,
दर्द,
बिखरा जुनूँ ....
दूरी,
मौन,
फिरभी सुकूँ ....
 
गीत,
तन्हाई,
राहें  सुन्सां ...
मेरा,
अपना,
हो गया मेहमां ...
 
शब्द,
कागज़ 
न पूरी किताब ...
वो तनहा ,
हम तनहा,
हो गया हिसाब .... 
 
 
 
 
 
बेह गया तो पानी
थम गया तो दर्द 
ज़बां कहदे  तो ठीक 
न कहे, तो कमज़र्फ 
थक तो हम भी गए है
दिल को इत्मेनां नहीं
चाँद तो चुरा लिया है
रखने को आस्मां नहीं
कदम थिरक थिरक है 
गला है भरा भरा 
महफ़िल अभी लगी है 
कुछ और तो रुकिए ज़रा 
बे-इज्ज़त हुए है हम तो 
शक भरी तेरी नज़र से 
शराब से बहक गए क्या 
प्यार बरसा है किस कदर से 
गिले शिकवे क्या करें अब 
क्या करें हम तुझसे नाराज़ी 
हर गुनाह तेरा भूल जाएँ 
तू नज़र करे जो ज़रा सी