आ की मिलकर खोजें ज़रा
जो खो दिया दोराहो पर
तेरे एहम की ठोकर पर
मेरी जिद की चाहों पर
कदमो तले की मिटटी को आ
हाथों से कुछ नर्म बनाये
पेड़ो से तहज़ीब खरीदें
खुदको थोड़ी शर्म सिखाएं
बिखरे पड़े सुखें पत्तो को
कुछ अरमानो की उर्मि देदें
कांटो में छुपे,फूल भी है आ
सूझ बुझ से दोनों लेलें
तपता सूरज सर पे चढ़कर
सँयम के सलीके टटोलेगा
चल संग थामे, धैर्य की डोरी
किन अंगारों से हमें तोलेगा
जब गुजरेंगे नदी के किनारे
ठहरे आंसू , उन्ही में बहा लेंगे हम
छुपा लेना मुझे, तू सीने से लगा
ग़म को, एक दूजे में छुपा लेंगे हम
कुछ पाव के छाले रोयेंगे
कंधो का बल भी टूटेगा
सफ़र की साँसे रहेंगी तब तक
तेरा साथ न जब तक छुटेगा
चलते चलते शाम ढलेगी
न जाने ले जायें रास्तें कहाँ
मुड़ के जो चाहो, तो "जाना " चले जाना
छोड़े है तेरी ख़ातिर हर मोड़ पे निशाँ
जो खो दिया दोराहो पर
तेरे एहम की ठोकर पर
मेरी जिद की चाहों पर
कदमो तले की मिटटी को आ
हाथों से कुछ नर्म बनाये
पेड़ो से तहज़ीब खरीदें
खुदको थोड़ी शर्म सिखाएं
बिखरे पड़े सुखें पत्तो को
कुछ अरमानो की उर्मि देदें
कांटो में छुपे,फूल भी है आ
सूझ बुझ से दोनों लेलें
तपता सूरज सर पे चढ़कर
सँयम के सलीके टटोलेगा
चल संग थामे, धैर्य की डोरी
किन अंगारों से हमें तोलेगा
जब गुजरेंगे नदी के किनारे
ठहरे आंसू , उन्ही में बहा लेंगे हम
छुपा लेना मुझे, तू सीने से लगा
ग़म को, एक दूजे में छुपा लेंगे हम
कुछ पाव के छाले रोयेंगे
कंधो का बल भी टूटेगा
सफ़र की साँसे रहेंगी तब तक
तेरा साथ न जब तक छुटेगा
चलते चलते शाम ढलेगी
न जाने ले जायें रास्तें कहाँ
मुड़ के जो चाहो, तो "जाना " चले जाना
छोड़े है तेरी ख़ातिर हर मोड़ पे निशाँ