Saturday, June 27, 2015

शब्द नहीं मिलते 
और बात रह जाती है 
अक़्सर ख्वाहिशें 
आँसूओं में बह जाती है 

Thursday, June 25, 2015

हम दोनो ही हम दोनों की तक़दीर में नहीं थे 
वर्ना आज हम दोनों में क्या दुश्मनी है कोई !
तुम भी मुस्कुराते हो, हम भी मुस्कुराते हैं 
वाक़ई हमारी ज़िन्दगियों में क्या कमी है कोई?

Saturday, June 6, 2015

उस किताब मे कितने अल्फ़ाज़ मिले 
इस काग़ज़ पे मगर कोई निशाँ ही नहीं 
अब जब की नज़र आने लगीं मंज़िले 
तो राहों को मिलती कोई दिशा ही नहीं