Wednesday, August 27, 2014

बेख़ुदी में 'जाना' तुम, कमाल करते हो
ख़ामोश रहकर भी, हमसे, सवाल करते हो

कुछ अल्फाज़ों से, अदा करते
कुछ इशारों में, बयाँ करते
तब देते हम भी, जवाब क़ोई
तुम्हे तोहफ़ा, लाज़वाब कोई

ऐसे रूठे रहने से, तक़दीर नहीं बनती
हँसी बिना ख़ूबसूरत, तस्वीर नहीं बनती
तुम तो मेरे दिल के, सबसें करीब रहते हो
फिर भी 'जाना', बेरूख़ी क्यूँ, बातें कहते हो

चलो, भूलो,जो हुआ, दिल अपना साफ़ करो
हम भी तुम्हारे अपने है, अब तो हमें माफ़ करो
क्या उम्र भर यूही मुँह, फुलाये रखोगे
दिल में हमसे नफररत, बनाये रखोगे 

क्या नींद आती है तुम्हे, नाराज़ रहकर
क्या सुकूँ मिलता है, कड़वी बात कहकर
क्या कभी दिल तुम्हारा, तड़पता ही नहीं
बात करने के लिए, कभी तरसता ही नहीं

क्या सच में तुम अब इतने, बेपरवाह हो गए
या उम्र दराज़ के लिए, हमसे ख़फ़ा हो गए 
एकबार मिली ये ज़िन्दगी, ऐसे न इसे बर्बाद करो 
प्यार न सही, नफ़रत की, क़ैद से हमें आज़ाद करो 

ख़ामोश रहकर भी हमसे , यु न तुम सवाल करो 
जो भी है दिल में तुम्हारा, एक बार तो 'जाना' बात करो 

Sunday, August 24, 2014

यूँ भी होगा, ये सोचा न था 
सोचा हुआ, होता है क्या ?
वस्ल की तमन्ना, थी मगर 
वस्ल का इनाम, सोचा न था 

तअल्लुक़ को वज़ह की, हूँफ नहीं 
क़ुर्बत को किसी का, ख़ौफ़ कहा 
यूँ डूबती नब्ज़ ही, दे देगी 
हौसलों का सिला, सोचा न था 

ख़्वाहिशों के भी,पर होते है 
आसमाँ से इश्क़, लड़ाते हैं
हसरतों को, यूँ भी मूझसे 
कोई देगा मिला, सोचा न था 

Saturday, August 23, 2014

ऐ ख़ुदा, ये कैसी बात हुई 
फिर वही, बरसात हुई 
क्या लुत्फ़ कोसों आने का 
न क़ैद से जो, आज़ाद हुई 

वही काले घने, भरे बादल 
वही सुना गहरा, आसमाँ 
तीख़ी हवा का शोर, सर सर 
वही उसकी, यादों का समां 

जैसे वहाँ, बरसता था 
यहाँ भी टूट के, आया है 
बूँदो का सैलाब, देखो 
प्यार का मौसम, लाया है 

मन करता है, नंगे पाव 
निकल पडू इन, सड़कों पर 
बाँहों को फैला के, अपनी 
बारिश को लूँ, खुद में भर 

क़तरा क़तरा, मुझको छूकर 
उतरेगा जब, पानी तन से 
निखरेगा हर रोम, जैसे 
छू लिया हो, उसने मन से 

होठों पर जब, गिरेंगी बूंदे 
आँखों में  शराब, आ जाएगी 
एक बार जो उसका, नाम लिया
मदहोशी, छा जाएगी 

ना होकर भी, वो होगा यही 
मेरे कण कण में, मेरी बाँहों में 
दूर होकर भी, मुझसे दूर नहीं 
मेहकेगा वो, मेरी साँसों में 

जाने क्यों बरसती है, बरसात 
केहर मेरे दिल, पर ढाती है 
हर बून्द में भरके, याद उसकी 
वो प्यार उसका, ले आती है 

Friday, August 22, 2014

तुम ज़िद अपनी जताते रहो 
मैं ख़्वाब अपने सजाऊँगी 
तुम कदम कदम दूर जाते रहो 
मैं क्षण क्षण पास आऊँगी 

तुम ज़ुबाँ से अपनी कुछ न कहो 
मैं आँखें पढ़ती जाऊँगी 
तुम पीठ दिखाते जाओ जाना 
मैं दिल मैं आती जाऊँगी

मेरा चेहरा भी न देखो तुम 
क़सम तुम्हारी निभाऊंगी 
बेशक क़त्ल कर देना मेरा 
जो नज़र तुम्हे आ जाऊँगी 

ज़िद्द तुम्हारी अब मान है मेरा 
मर जाऊँगी, तुम्हे ना बुलाऊंगी 
तुम नफरत करते जाओ जाना 
मैं प्यार करती जाऊँगी 

Thursday, August 21, 2014

प्यार करना भी उनकी मर्ज़ी थी 
न करना भी उनका ख़याल 
हम तो बस उन हाथों की 
कठपूतली ही  रहें 

नफ़रत भी यूँ करते हैं वो
कोई एहसान हम पर जैसे 
कुछ कहके उनकी शान में और 
गुस्ताख़ी क्या करें 

Friday, August 15, 2014

ना कर मूझसे गुफ़्तार बन्दे , इश्क़ हो जायेगा 
ना कर यूँ ऐतबार बन्दे , इश्क़ हो जायेगा 
ख़ुद को खुद्की क़ैद में रखना, नया नहीं लगता 
ना कर मुझे आज़ाद बन्दे, इश्क़ हो जायेगा 

वाबस्ता है तुझसे जाना, कितनी शोख़ नज़र 
ना कर मुझपे नज़र बन्दे , इश्क़ हो जायेगा 
शहर क्या, गली क्या, कोई कूचा भी न देख 
न कर रुख़ मेरे घर का बन्दे, इश्क़ हो जायेगा 

मदमस्त है आँखें तेरी, वो बातें मनचली 
रख काबू में अरमाँ बन्दे, इश्क़ हो जायेगा 
हाथों से फिसल जाता है, क़तरा क़तरा चाहत का 
मुट्ठी में ने बांध बन्दे , इश्क़ हो जायेगा 

परिंदे हैँ ये ख्वाबों के, ख्वाबो में ही रहने दे 
ना दें हूँफ हक़ीक़त की , इश्क़ हो जायेगा 
बग़ावत ना मौहब्बत का, ज़रिया बन जाए 
ना कर मुझसे तक़रार बन्दे, इश्क़ हो जायेगा 


गुफ़्तार - to talk
वाबस्ता - attached, connected



Monday, August 4, 2014

मय को अपनी औक़ात से ज़्यादा ना पी
ग़ज़ब होगा 'जाना' जो आँखें बोल पड़ी

खँजर से सीने को चिर् तो दोगे तुम
ख़ुदको उसमे देख होगी तक़लीफ़ भी बड़ी