Tuesday, March 8, 2011

इक सुबह ऐसी हो,
तूझे जागते मैं देखू,
सूरज की नर्म किरणों में  तेरी आंखें खुल रही हो,
तेरे चेहरे की मासूमियत यु धीरे धीर उभर के मुस्कुराये
तेरी अंगडाइयों  की सिलवटो को कुछ बेचैन पाऊं  
तेरी शांत धडकनों को मेरे खयालो में खोया देखू
सुबह के पहले पहर तुझे में अपनी यादों में शामिल देखू,
कितना खूबसूरत वो पल हो, जब तेरे अक्ष मैं सिर्फ मेरी झलक हो,
और जिस मौड़ बेचैनी चरम पे हो,
मैं आके तुझे गले लगालू, और तेरे आघोष में खुदको खो दू...

Monday, March 7, 2011

क्या है तुझमे वो, जो बेकरार किये जाता है
कौन है मुझमे वो, जो इंतज़ार किये जाता है
समय के दोराहो ने,मुझसे हक छीन लिया
फिर भी ये दिल है, जो प्यार किये जाता है   

Thursday, March 3, 2011

चिलमन से चेहरा छुपा तो लिया
धड़कन को कैसे छुपाओगे  तुम
खुसबू तुम्हारी जो साँसों मैं हो
इसको कहाँ लेके जाओगे तुम

होतीं अगर राहें इतनी सरल
चाहतो मे मज़ा फिर क्या आता सनम 
कभी हार को भी सर-आँखों पर लो,
हर बाज़ी फिर देखो, जीत जाओगे तुम..

तकल्लुफ न करना मोहब्बत में कभी,
उल्फत में खुदको मिटा देना है 
फासलों को जितना, नज़र-अंदाज़ करोगे
उतना मेरे पास, खुदको पाओगे के तुम....
 
बेमतलब,
नाजुक बड़ी,
कमज़ोर सी है,
हमारे बीच जो खड़ी,
बेकाम की दीवार...
बस नाम क दीवार....

मौन है तो क्या,
वजह भी खूब है,
खुद हमने है चुनी,
कुछ ख़ामोशी और ये,
बेकाम की दीवार...
बस नाम की दीवार...

समय को रोका है,
या रुक गए खुद हम,
या रोक दिया रास्ता,
लकीरों का, मढ़कर
बेकाम की दीवार...
बस नाम की दीवार...     

कुछ तनहा लम्हे,
थोड़ी नजदीकियां,
एक नज़र प्यार की,
देखो कैसे गिरती है,
बेकाम की दीवार...
ये नाम की दीवार