Thursday, September 18, 2014

मेरी आहों में आहें, मिला रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 
जाना पहचाना, एहसास लौटा है 
दूर से ही मुझे गले, लगा रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

अल्फ़ाज़ों का साथ, पीछे रह गया 
आख़री शब्द 'अलविदा', कह गया 
तनहा है जागे,अरसों सोये नहीं 
मीठी थपकियों से, सुला रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

भूली नहीं नटखट, हँसी  उसकी
मुझे छेड़ फिर, खिलखिला के हँसना 
खोज रही थी लम्हे, दोहराने के लिए 
ख़यालों में फिरसे, सता रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

मेहफ़ूज़ उसकी बाहों का, संग खो गया 
तन्हाइयों की भीड़ में, दिल तंग हो गया 
मन करता है उसके, सीने से लग जायें 
कसके अपनी बाँहों में, मना रहा कोई 
इस दिल को फिर याद, आ रहा कोई 

Monday, September 15, 2014

भीड़ में वो तन्हा, सख्श हूँ मैं 
जिसे देखकर तूने, अनदेखा किया 
मैं अब भी तेरी हसीं, निहारती हूँ 
तूझे अब भी मेरे अश्क़, दीखते नहीं 

Thursday, September 11, 2014

मेरे मन के पंछी 
थम ज़रा 
दिखता हैं  मगर 
आकाश नहीं 

कुछ बदलियों ने, घर बनाया है 
वो लम्हा अभी, नहीं आया है 
ये दर्द उसके, दिल में भी हो 
इन आँखों में, जो भर आया है 

कोई आह कसक की, यूँ भी तो हो 
हर साँस में मेरी, याद आये 
एक नज़र को तरसे, नज़र उसकी 
हर चाह में मेरा, नाम आये 

तरसते ख़्वाब को, थाम तू ले 
ऐ मन सब्र से, काम तू ले 
इम्तिहाँ ऐसे, और भी है 
अभी और आएंगे, मक़ाम ऐसे 

ये दिल उसके, क़दमों में रख 
कहीं और का, मन, रुख करते हैं 
दीखता है मगर, आकाश नहीं 
कहीं और की उड़ान, भरते है 

मेरे मन के पंछी 
थम ज़रा 
किसी और दुनिया में चलते हैं 

Thursday, September 4, 2014

तुम थाम लो तो  शायद, ये भी यार कर जाएं 
हया की हर हिचकियों को, पार कर जाएं 
मर जाएं ,उससे पहले सीने से लगा लेना 
जो न किया 'जाना', शायद, इस बार कर जाएं !