Wednesday, December 11, 2013

क्यों समर्पण के लिए भी,
सार्थकता का
परिचय़ देना
आवश्यक है ?

क्या समर्पण,
स्वयं ही,
सार्थकता का
एक चिन्ह नहीं?

Sunday, December 8, 2013

बहरहाल अब देखना बाकि ये रहा...
 
प्रतिज्ञा का कितना शौर्ये है 
और मौन में कितना सामर्थ्य,
 
क्या वेदनाओं का प्रहार प्रबल है 
या धैर्य का अड़िग है प्रण ?
 
देखें समय के ताप में 
झुलसता है कौनसा पक्ष यहाँ ,

उल्लसित होना किसका भाग्य है 
और पराजित होना किसे मान्य !
 

Saturday, December 7, 2013

शायद दिल कि ज़िद्द है, 
ख्वाहिशों कि या कोई नादानी, 
या जागी है नयी चाह, तसव्वूर के धूएं से 

बेबाकी देखिये! 

निग़ाहें बेलज्जा..... मिजाज़ रूमैसा.... 
खड़े है किसी राह में 
यु आग़ोश -कुशा  

तसव्वूर - imagination
बेबाकी - boldness
रूमैसा - bunch of flowers
आग़ोश -कुशा - waiting to embrace someone with open arms
ये ग़ुनाह, कातिब-ए -मुक्क़दर का नहीं 
के नाम हमारा, आपके नाम से न जुड़ सका 
ये केहर तो अँजाम है, उस बेवफ़ाई का 
जो हमसे हमारे हौंसले, हरदम करते रहे 

कातिब-ए -मुक्क़दर- one who wrote the destiny, God