Monday, October 7, 2013

आप्का गुस्सा नफरत बन जाए 
या मेरा प्यार अफ्सोस
बेहतर है मैं उस्से पहले 
सम्भालु अपने होंश 
 
कुछ रिश्ते होते है
साये कि तरह 
छोड़दो तो
रुक जाते है
थामो तो 
छुप जाते है 
 
यादें होना ज़रुरी है 
पर इस तरह नही 
कि यादों मै यु खो जाएँ 
आज का पल , कल हो जाए 
अफसोस मै ही बीतें पल 
हर आज एक झूटा कल 
और जब वो पहर आए 
अन्त्  समक्ष नज़र आए 
लगे कि कुछ किया नही 
किसी आज को जिया नही 
 
जिन्दगी कि ढल्ती शाम मै
गम न हो इस बात का 
शिक्वो मै बिताया क्यो किए 
वो लमहा तेरे साथ् का 
इसिलिए एक काम करे
यहि जिन्दगी कि शाम  करें 
आपकी मुस्कुराहट के सद्के 
मेरे अरमान यहि रम जाएंगे 
आप बढ़िये, कि मंजीले बहोत है अभि 
मेरे कदम अब यहीं थम जाएंगे 

 
 

No comments:

Post a Comment