टकरा जाता हूँ
मैं ठोकर खाता हूँ
लड़खड़ाता हूँ
निराशाजनक
मैं अक़्सर हार जाता हूँ
तू क्यूँ मग़र
ये बोझ उतारती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
कभी दुनियादारों से
कभी रिश्तेदारों से
कभी लख़्ते रूह से
कभी अज़ीज़ यारो से
मैं ही मात खा जाता हूँ
तू क्यूँ मगर
मात खाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
यूँ तो दम बहोत हैं
मेरे ख़ूने जिग़र में
शोले मगर अपनों के
वो दाग़ दे जाते हैं
मोम सा दर मैं पिघल जाता हूँ
तू क्यूँ मगर
सर झुकाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
मेरा दामन भरा है
तेरी आज़माइशों से
मेरी साँसे चलतीं हैं
तेरी ही ख्वाइशों से
कभी मेरे भी ख्वाबों की डोर थामे
तू क्यूँ मगर
क़दम बढ़ाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
कश्मकश में जीता हूँ
तिनका तिनका मरता हूँ
सूरज की तीख़ी किरणों से
ख़ुदको ज़िंदा करता हूँ
जीने मरने के बीच कहीं खो जाता हूँ
मौत क्यूँ मगर मुझे आज़माती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
मैं ठोकर खाता हूँ
लड़खड़ाता हूँ
निराशाजनक
मैं अक़्सर हार जाता हूँ
तू क्यूँ मग़र
ये बोझ उतारती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
कभी दुनियादारों से
कभी रिश्तेदारों से
कभी लख़्ते रूह से
कभी अज़ीज़ यारो से
मैं ही मात खा जाता हूँ
तू क्यूँ मगर
मात खाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
यूँ तो दम बहोत हैं
मेरे ख़ूने जिग़र में
शोले मगर अपनों के
वो दाग़ दे जाते हैं
मोम सा दर मैं पिघल जाता हूँ
तू क्यूँ मगर
सर झुकाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
मेरा दामन भरा है
तेरी आज़माइशों से
मेरी साँसे चलतीं हैं
तेरी ही ख्वाइशों से
कभी मेरे भी ख्वाबों की डोर थामे
तू क्यूँ मगर
क़दम बढ़ाती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं
कश्मकश में जीता हूँ
तिनका तिनका मरता हूँ
सूरज की तीख़ी किरणों से
ख़ुदको ज़िंदा करता हूँ
जीने मरने के बीच कहीं खो जाता हूँ
मौत क्यूँ मगर मुझे आज़माती नहीं
क्यूँ ज़िन्दगी तू मुझसे
कभी हारती नहीं