गीले, शिकवे, शिकायतों के मौसम गुज़र गए
सहमती से आज कुछ समझौते सुधर गए
ना वो हमारे नाम की दुहाई देंगे
ना हम सरे-आम उनका नाम लेंगे
ना वो इस दामन को छु पाएंगे कभी
ना हम उस आँगन में अब जायेंगे कभी
वो अपनी मंजील को चाहे जैसे पायें
हम उनके रास्ते में कभी ना आयें
चाहे उनके खयालो में चूर रहेंगे
फिर भी उनकी यादों से दूर रहेंगे
उनके फैसलों से हमें, इख्तियार ना रहेगा
बेशक उन्हें भी हमसा इंतज़ार रहेगा
ज़िन्दगी में अब चाहे कोई मुकाम आये
शर्त है की उनका कभी नाम ना आये
उम्र भर उस चेहरे का दीदार ना करेंगे
वो भी हमसे पहले सा, अब प्यार ना करेंगे
कलमों के ये पन्ने ज़हन में उतर गए
वाकई हमारे प्यार के वो दिन गुज़र गए
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