काँटा निकाले या फूल संभाले
तुम ही बताओ की अब क्या करें
चमन तो बाघी हों ही चला है
दामन संभाले या सजदा करें
कदमो की आहट से पहचान लेना
छूने का मौका ना देगा कोई
महफ़िल में गैरों का ताता लगा है
लाज़मी है की हम भी पर्दा करें
राह में मिलेंगे इम्तिहाँ कई
भरम की लकीरें गुमराह करेंगी
सहूलियत से तो इश्क फरमाते है सभी
माने आपको, ऐसे में अकीदा करें
अकीदा - विश्वास
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