Saturday, September 18, 2010

एक सुबह तुम्हारे साथ हों
एक शाम तुम्हारे साथ हों
एक दिन तो ऐसा गुज़रे मेरा
एक रात तुम्हारे साथ हों

तुम बैठी रहो मेरे सामने
आँखों में आंखें डाले हुए
साँसे तुम्हारी सुनाई दे
कभी तुम इतनी पास हों

मेरे लिए हों  हंसी  तुम्हारी
आंसू हों तो मेरे लिए
संग मेरे दुःख सुख में रहो
कभी इतनी आज़ाद हों

कहीं और ना जाना हों तुम्हे
मुझसे ही मिलने आओ तुम
फिक्र ना हों किसी और की
ऐसी कोई मुलाक़ात हों

प्यार तुम्हारा बाटू ना कभी
सिर्फ मुझसे ही प्यार करो
जाँ देदु एक हसी पे तुम्हारी
ऐसी कभी कोई बात हों

जाने वो मुमकीन कब होंगी
ख्वाइश जो तुम्हारे साथ हों
हर पल तुम मेरे साथ रहो
ऐसे भी कभी दिन रात हों

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