Thursday, September 2, 2010

तुम रचाओ रास जहा
हम दौड़े चले आएंगे
राधा बनके कान्हा तेरे 
प्यार में खो जायेंगे


बांसुरी की ले पैर थिरकते
कदमो को घायल कर देंगे
जो ना पुकारो नाम हमारा
सुध बुध ही खो जायेंगे


रास रचेंगे साथ तुम्हारे
झूमेंगे काले पहरों हम
खुसी जो तुमसे ही मिलती है
खुसी में ही रो जायेंगे


कान्हा मेरे साथ चलो तुम
प्रेम के सब रंग फीके है
बाँध लो प्रीत की लडियो से फिर
फिर हम एक हों जायेंगे

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