Tuesday, January 1, 2013

बेह गया तो पानी
थम गया तो दर्द 
ज़बां कहदे  तो ठीक 
न कहे, तो कमज़र्फ 
थक तो हम भी गए है
दिल को इत्मेनां नहीं
चाँद तो चुरा लिया है
रखने को आस्मां नहीं
कदम थिरक थिरक है 
गला है भरा भरा 
महफ़िल अभी लगी है 
कुछ और तो रुकिए ज़रा 
बे-इज्ज़त हुए है हम तो 
शक भरी तेरी नज़र से 
शराब से बहक गए क्या 
प्यार बरसा है किस कदर से 
गिले शिकवे क्या करें अब 
क्या करें हम तुझसे नाराज़ी 
हर गुनाह तेरा भूल जाएँ 
तू नज़र करे जो ज़रा सी 
 

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