तेरे आंगन से मेरा दामन तुझे, भरा ही दीखता होगा
मेरे आंगन से मेरा दामन, आ ,इक बार ज़रा तू देख।
तेरे मिट्टी पे ही बरसे है,फिजा के सावन हरे भरे
मुझे पतझड़ से है मिला,आ ,कितना हरा तू देख।
मौन के तरकश से निकले , बिन शब्द तीखे तीर थे
हालाँकि ज़बां तेरी, कभी क़त्ल से कतराई नहीं।
तनक के तोड़ी कच्ची डोरी,नाम जिसका विश्वास था
रुआब देखते बनता है, नज़रे तेरी क्यों लज्जाई नहीं।
हाथ मेरे हाथों में रख, आँखों से आंखें मिला
बहने दे कडवे लहू को,मैं भी देखू रंग तेरा।
मुझे छु कर भी तू अगर, सच को छुपा सकता है
क्या समझू मैं, बेमानी था, पाया जो मैंने संग तेरा।
फ़कीर तो मानो मैं हुई, पाकर भी सब खो दिया
साथ मेरे तू रहा है ऐसे ,खुली आँख का सपना कोई।
पल से छोटे पल मैं टुटा,दिल का हर एक हिस्सा यु
देह त्याग के जाये जैसे, जान से प्यारा अपना कोई।
मेरे आंगन से मेरा दामन, आ ,इक बार ज़रा तू देख।
तेरे मिट्टी पे ही बरसे है,फिजा के सावन हरे भरे
मुझे पतझड़ से है मिला,आ ,कितना हरा तू देख।
मौन के तरकश से निकले , बिन शब्द तीखे तीर थे
हालाँकि ज़बां तेरी, कभी क़त्ल से कतराई नहीं।
तनक के तोड़ी कच्ची डोरी,नाम जिसका विश्वास था
रुआब देखते बनता है, नज़रे तेरी क्यों लज्जाई नहीं।
हाथ मेरे हाथों में रख, आँखों से आंखें मिला
बहने दे कडवे लहू को,मैं भी देखू रंग तेरा।
मुझे छु कर भी तू अगर, सच को छुपा सकता है
क्या समझू मैं, बेमानी था, पाया जो मैंने संग तेरा।
फ़कीर तो मानो मैं हुई, पाकर भी सब खो दिया
साथ मेरे तू रहा है ऐसे ,खुली आँख का सपना कोई।
पल से छोटे पल मैं टुटा,दिल का हर एक हिस्सा यु
देह त्याग के जाये जैसे, जान से प्यारा अपना कोई।
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