मेरे इख़्तियार में न था
तेरी तकलीफों का हल
मेरी मुश्किलें मगर… तेरे इशारों पे रही
रुलाया खूब लेकिन,
ख़ुशी भी दी बहोत
किस माटी का तू बंदा…. कौन जाने ये सही
कोई तीखा भरम था
या मीठी हकीक़त
सोचती हु ऐसे…तू था भी या नहीं
गला भर आता है
आंसू भी नहीं थमते
जब लगता है की तु……. अब आयेगा नहीं
मंद मंद मुस्काते
आँखों से मार देना
तुझसा कोई कातिल …. फिर मिला ही नहीं
तेरी तकलीफों का हल
मेरी मुश्किलें मगर… तेरे इशारों पे रही
रुलाया खूब लेकिन,
ख़ुशी भी दी बहोत
किस माटी का तू बंदा…. कौन जाने ये सही
कोई तीखा भरम था
या मीठी हकीक़त
सोचती हु ऐसे…तू था भी या नहीं
गला भर आता है
आंसू भी नहीं थमते
जब लगता है की तु……. अब आयेगा नहीं
मंद मंद मुस्काते
आँखों से मार देना
तुझसा कोई कातिल …. फिर मिला ही नहीं
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