शब्दों की कुछ कमी सी है
दिल में आज नमी सी है
लिखना बहोत चाहती हु मगर
साँसे उलझ में रमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
ज़हन में बातें झूझ रही
मुझसे क्या क्या पूछ रही
पन्नो पर कैसे में लाऊं
कलम मेरी कुछ थमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
चुप कहाँ रहती हूँ में
कितना कुछ कहती हूँ में
आज मगर आँखों के आगे
माटी की परत, जमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
कहते कहते कितना कहा
बात मगर वो रह ही गयी
जिससे मन व्याकुल सा है
जिससे दिल में नमी सी है
पर, शब्दों की कुछ कमी सी है
दिल में आज नमी सी है
लिखना बहोत चाहती हु मगर
साँसे उलझ में रमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
ज़हन में बातें झूझ रही
मुझसे क्या क्या पूछ रही
पन्नो पर कैसे में लाऊं
कलम मेरी कुछ थमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
चुप कहाँ रहती हूँ में
कितना कुछ कहती हूँ में
आज मगर आँखों के आगे
माटी की परत, जमी सी है
शब्दों की कुछ कमी सी है
कहते कहते कितना कहा
बात मगर वो रह ही गयी
जिससे मन व्याकुल सा है
जिससे दिल में नमी सी है
पर, शब्दों की कुछ कमी सी है
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