Thursday, March 3, 2011

बेमतलब,
नाजुक बड़ी,
कमज़ोर सी है,
हमारे बीच जो खड़ी,
बेकाम की दीवार...
बस नाम क दीवार....

मौन है तो क्या,
वजह भी खूब है,
खुद हमने है चुनी,
कुछ ख़ामोशी और ये,
बेकाम की दीवार...
बस नाम की दीवार...

समय को रोका है,
या रुक गए खुद हम,
या रोक दिया रास्ता,
लकीरों का, मढ़कर
बेकाम की दीवार...
बस नाम की दीवार...     

कुछ तनहा लम्हे,
थोड़ी नजदीकियां,
एक नज़र प्यार की,
देखो कैसे गिरती है,
बेकाम की दीवार...
ये नाम की दीवार 
 

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