नफरत ना सही,
कुछ कम भी नहीं..
असमंजस के सागर में गोते खा रहे हैं!
दो कदम उनकी तरफ,
दो कदम उलटे पैर ...
डगमाते रास्ते कहाँ जा रहे हैं !
कभी हवा के साए में,
कभी धुंए में कही...
धुंदली तस्वीर से रंग जा रहे है !
कौन कहता है अंधेरो में,
खो जाते हैं लोग...
चाँद से बेहतर ,वो नज़र आ रहे है !
उम्र के दायरे में,
सब एहसास नहीं आते..
कुछ अरमान अब देखो कहाँ जा रहे हैं !
जिस मोड़ पे खाई थी,
हर कोशिश ने ठोकर...
होके बेलज्जा, सब वहा जा रहे है !
कुछ कम भी नहीं..
असमंजस के सागर में गोते खा रहे हैं!
दो कदम उनकी तरफ,
दो कदम उलटे पैर ...
डगमाते रास्ते कहाँ जा रहे हैं !
कभी हवा के साए में,
कभी धुंए में कही...
धुंदली तस्वीर से रंग जा रहे है !
कौन कहता है अंधेरो में,
खो जाते हैं लोग...
चाँद से बेहतर ,वो नज़र आ रहे है !
उम्र के दायरे में,
सब एहसास नहीं आते..
कुछ अरमान अब देखो कहाँ जा रहे हैं !
जिस मोड़ पे खाई थी,
हर कोशिश ने ठोकर...
होके बेलज्जा, सब वहा जा रहे है !
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