सोचूँ तो वजहों की फ़ेरिश्त बन जाएगी
न सोचूँ तो तुमसे कोई खला ही नहीं
मिलने को तो मिले हमें हर मोड़ पे आशिक़
मुख्तलीफ़ , तुमसा मगर कोई मिला ही नहीं
न सोचूँ तो तुमसे कोई खला ही नहीं
मिलने को तो मिले हमें हर मोड़ पे आशिक़
मुख्तलीफ़ , तुमसा मगर कोई मिला ही नहीं
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