क्या उठती है तलब
तेरे दिल में भी कभी
भरके मुझे बाहों में
सीने से लगा ले
मुझे तोह ये ख़याल जाने कितनी मर्तबा
बेचैनियों के सिलसिले देके जाता है
तेरे दिल में भी कभी
भरके मुझे बाहों में
सीने से लगा ले
मुझे तोह ये ख़याल जाने कितनी मर्तबा
बेचैनियों के सिलसिले देके जाता है
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