या न थी मुक्कमिल,
लकीरों में ख्वाहिशें
या शायद रज़ामंद,
न रहा वो ख़ुदा
वर्ना तो कोशिशे,
हमने भी लाख की,
तकदीर, के मिलकर भी
वो हो गया जुदा
लकीरों में ख्वाहिशें
या शायद रज़ामंद,
न रहा वो ख़ुदा
वर्ना तो कोशिशे,
हमने भी लाख की,
तकदीर, के मिलकर भी
वो हो गया जुदा
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