Wednesday, July 24, 2013

यु न दौड़ ज़िन्दगी

धीमी कर रफ़्तार ज़रा 
युही, न दौड़ ज़िन्दगी 
अभी तो करना, बाकि रहा 
काफी और ज़िन्दगी 

खुलके अभी तक जीया ही नहीं 
मर्जी से साँसों को लिया ही नहीं 
औरो के लिए ही, है दम भरा 
खुदके लिए है, बहोत कम करा 
होना है बाकि, अभी बेफ़िकर
बटोरने-ख्वाब, जो गए है बिखर 
            वक़्त की न ऐसे, लगा बंदिशे 
            न कर इस कदर, तू ज़ोर ज़िन्दगी 
            अभी तो करना बाकि रहा 
            काफी और ज़िन्दगी

अभी तो बाकी निखरना रहा 
बा-तमन्ना और संवरना रहा 
ख्वाहिशों को होना है, कुछ मनचली 
अरमानो को अब तक, ज़बाँ न मिली 
पुराने ज़ख़्म है, अभी तक हरे 
शिकवो के कितने, ख़ज़ाने भरे 
              दे परवानगी, की सुलझाऊ इन्हें 
              जल्दबाज़ी मे, न मरोड़ ज़िंदगी 
              अभी तो करना बाकि रहा 
              काफी और ज़िन्दगी

अपनों से टूटी जो, कडिया न जोड़ी 
पागलपन की कोई, सीमा न तोड़ी 
मस्तियों की पिटारी, कही खो रखी 
सालों से दोस्तों की, डांट न चखी 
खेल कर खुद को, थकाया नहीं 
कुछ समय से खुदको, आज़माया नहीं 
              जी भर के करलू, मनमानिया 
              दे  इज़ाज़त, कुछ और ज़िन्दगी 
              अभी तो करना बाकि रहा
             काफी और ज़िन्दगी

जवानी को दामन में, छुपाये रखा 
अटखेलियो से भी, बचाए रखा 
सब कहते गए, हम करते गए 
मूँद आँखें, हर कदम, बढ़ते गए 
'हीर' बन हवाओं में उड़ना रह गया
मनचाहे 'रांझे' से जुड़ना रह गया 
             बन तितली, मैं फिरसे उडाने भरूँ
             बदल तरीके, कुछ तौर ज़िन्दगी 
             अभी तो करना बाकि रहा
             काफी और ज़िन्दगी

अभी उसको बाकी, बताना भी है 
शिक्वें और प्यार, जताना भी है 
कुछ नखरे, कुछ हाम़ी, दिल की बातें हैं बाकी 
कुछ खुली, कुछ छुपी, मुलाकातें हैं बाकी 
पूरी है करनी, कई फरमाइशें
बाकी है उसकी, आज़माइशें
            बाँहों मैं उसकी, सिमट जाएँ हम 
            लम्हों को ऐसे, कुछ जोड़ ज़िन्दगी 
            अभी तो करना बाकि रहा
            काफी और ज़िन्दगी

उसके साथ, थामे हाथ, ढलती शाम   
कभी टेहेलना, कभी दो जाम 
उसके काँधे, रखकर सर, आंखें नम 
कभी रफ़्तार, कभी बस थम 
बाकी है उसे, अभी और सताना 
बाकी है उसे, अभी गले लगाना 
            लग जायें गले, जी भर के हम 
            कुछ देर अकेला, हमें छोड़ ज़िन्दगी 
            अभी तो करना बाकि रहा
            काफी और ज़िन्दगी

बैठ ऊँची ईमारत पर, हवां में पैर हिलाते हुए
ज़मीं पर लेटे हुए, नभ से नज़र मिलाते हुए 
समंदर की लहरों पर, साथ कदम बढ़ाते हुए 
देखना है संग उसके, खुदको मुस्कुराते हुए 
कुछ रात-ओ-दिन, कुछ शाम-ओ-सहर, ऐसे हो 
मेरे ख्वाब, मेरे ख्याल, मेरी चाहत जैसे हो 
              फिर चाहे आग़ोश में उसके, तोड्लू मैं दम 
              ले आ ऐसा अब कोई, मोड़ ज़िन्दगी 
              अभी तो करना बाकि रहा
              काफी और ज़िन्दगी

यु न खेल, आंख मिचोली 
न हाथ, छोड़ जिन्दगी 
ऐसे भी न तोड़ दिल ये 
न साथ, छोड़ ज़िन्दगी 
धीमी कर रफ़्तार ज़रा
यु न दौड़ ज़िन्दगी
अभी तो करना बाकि रहा
काफी और ज़िन्दगी

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