Farz-E-Muhaal->> An impossible hypothesis
जाने किस खाख से जड़ दिया नाचीज़ को,
दर्द भी दामन में फूलों से लगतें है!
हमें रुलाके वोह भी गम्घीन हों जाए,
इतना असर अपनी आहों में रखतें है!
Thursday, July 4, 2013
औरों का ग़म देखा
औरों का ग़म देखा लगा की अपना कम है मोहबत्त के सिवा दुनिया में 'आशिक़ ' और भी ग़म है
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