Wednesday, February 9, 2011

हार का एक रंग, तुम भी देखोगे
जीत का  एक रंग, यहाँ भी आयेगा
किसके रोके रुकी है, लकीरों की कश्तियाँ
लेखा - जोखा सारा, यही निभ जायेगा


कागज़ के फूलो पर, इत्र ना छिडको
धुप की दो किरणों में, सबकुछ  उड़ जायेगा
जो मान के बैठे हैं, हर बात तुम्हारी सच्ची
वक़्त आने पर, उनका भरम टूट जायेगा

रिश्तो को तोलते तोलते, वो वक़्त गुज़र गया
उन पलों की मासूमियत, कौन लौटाएगा
फितरत है की वादा, कभी छोटा नहीं किया 
बस ये नहीं मालूम, की उसे कौन निभाएगा

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