Tuesday, December 7, 2010

इतना खूबसूरत- कोई ख़त नहीं आया
बा-हर्फ़ सजा के भेजे, इलज़ाम रकीब ने..
खोया कुछ था हमने, इश्क-ए-गूमानी में,
बाकी लुटा हमसे, कमज़र्फ नसीब ने...

रेशम की रवाज़े, दिखावो के सलीके 
सुकून साँसों का भी, छीना ग़रीब से 
काबिल-ए-तव्वज्जू, सहूलियत के रिश्ते
दो लव्ज़ ना केह पाए, जाते हबीब से

ताकूब नहीं था मकसद, पीछे तुम्हारे आना
एक नज़र चाहिए थी, थोडा करीब से
ज़हानत तुम्हारी ऐसी, खंजर बिनो ज्यो कातिल
इश्क में डुबोके, मारा अजीब से

बा-हर्फ़ - inn alphabetical order
रकीब - rival
काबिल-ए-तव्वज्जू- noteworthy
हबीब- loved one
ताकूब - to follow
ज़हानत - talent

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