Saturday, November 27, 2010

सुकूँ भी इश्क
दर्द भी इश्क
रोग भी इश्क 
मर्ज़ भी इश्क
तेरी हसी, तेरी बातें, तेरा गुस्सा, सज़ा भी इश्क
तुझसे दूरी, नजदीकियां, तेरी मस्ती- मज़ा भी इश्क
ख्वाब भी इश्क
ख़याल भी इश्क
वल्लाह तेरे
सवाल भी इश्क
तू पिए, होटों से वो, जिसके लिए, है नशा भी इश्क
कातिल तेरी, कडवी ज़बां, ज़ालिम तेरी है अदा भी इश्क
सितम भी इश्क
दुआ भी इश्क
तू जो दे   
बद-दुआ भी इश्क
रह रह के जो याद आता है, गुज़रा हुआ लम्हा भी इश्क
संग तेरे कुछ पल जिए, अब है मगर तनहा भी इश्क
मेरी जाँ तेरी, हर बात है, सबसे अलग, है तू भी इश्क
प्यार तुझसे क्या किया, कहते है सब, हूँ  मैं भी इश्क

2 comments:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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