Saturday, October 2, 2010

रात ने कुछ गहरा कर लिया है मौसम, या के ये तेरी आँखों की उदासी है...
चाँद ने तारो को या केह दिया कुछ ऐसा, रंग आसमा का क्यों काली सिहाई है!

उल- फजूल बातें, जाने कितनी कहदी,दिल की वो बात मगर, हमने छुपाई है...
अरसा हुआ उसको, खयालो में बसाके, प्यार जताने में, फिर उम्र गवाईं है !


जवानी केह रही है, कहीं और उसको जाना, नियत तो लेकिन चिकनी सुराही है...
पलकों में,ख्वाबो में, बातों में साँसों में, हर अक्ष में उसकी तस्वीर समाई है !


फासले दरमियाँ के, तवील हों चले क्यों, इसमें भी बेशक- कुछ उसकी खुदाई है...
हम न भूले एक पल, उसकी मोहब्बत को, भूल जाएँ  वो तो, इश्के- दुहाई है !

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