Thursday, October 7, 2010

तूफ़ान से कोई वादा करके,
आई हों क्या ज़िन्दगी
हर कदम पर खुशियों से, नज़रे चुराए जाती हों 


तिनका तिनका बिखरा जाये 
रेत का सा ढेर है
धीरे से कण कण तुम, सागर में समाये जाती हों

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